सुबह ही निकल गई थी
दाने की तलाश में
इधर उधर
भटक रही थी
एक-एक दाना
खोजना और पाना
उसकी दौड़ में
कई मुसीबतें हैं
फिर भी
परवाह नहीं थी
वह चिड़िया
सुबह ही निकल गई थी
जिसकी चाहत थी
कुछ दाने
अपने घोंसले में
ले जाना
कुछ खुद खाना
कुछ अपनों को खिलाना
जिसे देखकर
सुकून पाना
इसी अरमान में
जिंदगी भर
दौड़ रही थी
वह चिड़िया
सुबह ही निकल गई थी
---राजकपूर राजपूत''राज''
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