आदमी खुद में इतना मशगूल हो गए

Aadmi par ghazals hindi 


आदमी खुद में इतना मशगूल हो गए
अपनों का घर जलता रहा मगर चुप हो गए

उसकी आरज़ू उसकी सहुलियत में थी
समझता था सबकुछ मगर चुप हो गए

आंदोलित करने के इरादे से लिखें कई लफ्ज़
अक्लमंद है मगर फायदे के लिए चुप हो गए

उसकी चाल-ढाल में ही सियासत थी बहुत
कहना था दिल की बात मगर चुप हो गए

आधुनिकता के नाम पे सब जायज़ है राज़
दिल का दर्द समझते हैं मगर चुप हो गए
---राजकपूर राजपूत''राज''

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