फासले - रिश्तों के

रिश्तों के फासले -


कुछ तो फासले है तेरे मेरे दरम्यान
नज़रें मिलने के बाद क़दम नहीं रूकते

तुम चली जाती हो अपनी राह
किसी मोड़ पे पलटकर नहीं देखते

मैंने बातें की और तुम नजरें आसानी से मिला ली
कुछ टटोलते हो क्या नज़रें नहीं झुकती

मेरी बातों का यकीन नहीं है उसे
सच ढूंढते हो भरोसा नहीं करते 

-राजकपूर राजपूत 

रिश्तों/के/फासले


Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ