अफसोस नहीं करते
क़दम जो रख दिए
तो डरा नहीं करते
क्या पाया क्या खोया
इश्क में, परवाह नहीं करते
बेशक दर्द बहुत मिलते हैं
जिसे डर है वो इश्क नहीं करते !!!
मेरा प्रेम कहां छूटेगा
ये दिल अभी और टूटेगा
समझाया, बहलाया लेकिन
मेरा प्रेम कहां छूटेगा
जिससे हुआ वो समझते नहीं
जितना समझाया उतना टूटेगा
मगर मेरा प्रेम कहां छूटेगा
रोया है अकेले में
खोया है अकेले में
उम्मीद नहीं फिर भी
उसी पे दम टूटेगा
मेरा प्रेम कहां छूटेगा !!!
बहुत दुःख लगता है
जब प्रेम का दावा करता है
उसने प्रेम का मतलब निकाला है
असंभव सा दावा करता है !!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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