आकर्षण aakrshan

aakrshan- कभी कभी वासनाओं के कारण प्रेम का स्वरूप दिखाई देने लगते हैं और कभी कभी प्रेम के कारण वासनाएं । प्रेम में जहां वासनाएं समाहित होते हैं । जो प्रेम जैसे व्यवहार करने से भ्रमित करते हैं । जो प्रेम दर्शाते हैं । वासनाओं से प्रेरित होते हैं । वासनाओं के लिए कष्ट उठाते हैं। न कि कोई अन्य कारणों से । 
कविता हिन्दी में 👇👇

aakrshan


आकर्षण ही 
आपकी जरूरत है
चाहें इंद्रियों का हो
या किसी
वस्तुओं की ओर
खिंचाव हो
या किसी
प्राकृतिक सौंदर्य में हो
आपका मन
या फिर
आपकी ऑ॑खें
उस ओर ले जाती है
जहाॅ॑ इंद्रियों को
या फिर अंतरण को 
सुकून हो
आराम हो
सुखानुभूति हो 
या फिर
खुद के अंदर
खुद का साक्षात्कार हो
जहाॅ॑ सारी इच्छाऍ॑
गौण है
और जहां मान्य नहीं है
अन्य लोगों के आकर्षण का !!

aakrshan


आकर्षक जब
हृदय को छूने लगते हैं
तो भाने लगते हैं
कोई वस्तु कोई चीज
कोई जीव कोई प्राणी 
ऐसे में 
प्रेम और वासनाओं में
ज्यादा अंतर नहीं कर पाते हैं
वासनाएं ढंकी होती है
प्रेम से
या फिर
प्रेम ढका होता है
वासनाओं से 
जो समय के साथ
प्रगट होते हैं
अपनी प्रबलता के
स्वरूप में !!!

---राजकपूर राजपूत




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