मुझे जाने दो वहां
बचपन गुजरा था जहां
पुराने बरगद के नीचे
पीपल के पीछे
खेल खेलें थे जहां
मुझे जाने दो वहां
वो कागज़ की कश्ती
बीते लम्हों की मस्ती
नाव चलाई थी जहां
मुझे जाने दो वहां
वो गुज़रा हुआ कल
फिर मिला नहीं वो पल
सुकून है जहां
मेरा जीवन है वहां
---राजकपूर राजपूत''राज''
2 टिप्पणियाँ
वाह वाह अति सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता
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