jab-tumse-mulakat-ho-gai- प्रेमी की ख्वाहिश रहती है कि प्रेमी मिले । उसे देखें, बातें करें । लेकिन जब प्रेम सामने आ जाते हैं तो घबराहट, होने लगती है । जो बातें सोच कर रखते हैं । सारी की सारी धरी रह जाती है । कुछ कह नहीं पाते हैं । नजरें चुराने के सिवा कुछ कर नहीं पाते हैं । ये प्रेम की पराकाष्ठा है जो कुछ समझ नहीं पाते हैं । खुशी इतनी मिलती है कि अकल्पनीय हो जाती है । कविता हिन्दी में 👇👇
jab-tumse-mulakat-ho-gai
जब तुमसे अचानक मुलाकात हो गई
उस वक्त मेरी धड़कनें और तेज हो गई
मैं तो हंसता गाता था हरदम मेरे दोस्तों
उनसे मिलते ही ना जाने क्या बात हो गई
समझना चाहता था खुद को या तुमको
मुझे होश ना रहा ऐसी मेरी हालत हो गई
कैसे सम्भाल पाता तेरे सामने अपनी धड़कनों को
इसी भुल में 'राज़' दुनिया को खबर हो गई !!!
जब तुम अचानक आए
अचानक जब तुम आए
मेरे सामने
मेरा दिल धड़कने लगा
मन मचलने लगा
कदम खुद-ब-खुद बहकने लगा
मैं कुछ कह पाता
ऐसी मेरी हालत नहीं
तू था सामने मगर
कोई बात नहीं
खुशी मिली या ग़म
मुझे समझने की हालात नहीं
ये प्यार ही था
मेरा तुझसे !!!
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