तस्वीर खींची थी मैंने
मनमाफिक इरादों से
कुछ लकीरें खींची थी मैंने
अपने स्मृति पटल में
अंकित कर
मनभावन रंग भरा था मैंने
अपने अंतस के भीतर में
एक ख़्वाब सजाया था मैंने
जिसे जिंदगी, माना था मैंने
अपनी सम्पूर्णता की...
जिसकी तलाश में
कई कोशिश की थी मैंने
जो आज भी
अनवरत रूप से
जारी है
उसके मिलने तक
जिसकी तस्वीर खींची थी मैंने...!!!!
1 टिप्पणियाँ
Bahut hi sundar
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