हमारी चाहतें

बचपन में हमारी चाहतें अजीब थी
साथ चलते थे चांद बेहद करीब था

जैसे जैसे बड़े हुए तो अहसास हुआ
वो दूर आसमान पे मैं जमीं पे था
हमारी चाहते


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