Chay ke bahane
बरसों बाद चाय के बहाने से
मिला कुछ इस कदर
हम चाय पीना भूल गए
उससे मिलते ही
और चाय ठंडी होती गई मगर
रिश्तों में ताजगी बढ़ती गई
जो कह न पाए दुनिया से
जो सुन न पाए दुनिया से
जब मिले दो यार तो
ऐसी -ऐसी बातें होती गई
बरसों का दर्द झलका है
उससे मिलकर ऐसा लगा है
प्रेम की बरसात हो गई
दुनिया की बेहतर खुशी मिलती गई
और चाय ठंडी होती गई !!!
---राजकपूर राजपूत
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