बारिश की कुछ बूंदें
बारिश की कुछ बूंदें
जमीं पे पड़ते ही
सौंधी खुशबू उड़ने लगी
शायद ! जमीं बरसों से
बादल के इंतजार में था
एक प्यास उसकी भी थी
एक आस उसकी भी थी
गरजे बरसे बादल
बरसों का अरमान उसका भी था
जो बारिश की बूंदों के बाद
मचलने लगी थी
इसलिए खुशबू बिखेरने लगी थी
---राजकपूर राजपूत
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