अवहेलना भाग ७

तभी अनिता ने कहा " दीदी ये मोटू कौन है ? 

"वो उनके दोस्त है । साथ साथ पढ़े लिखे हैं । पहले दोनों के खुब बनते थे । साथ बैठ के खाते-पीते थे ,,,, जिसे वो अक्सर मोटू कह कर बुलाते हैं,, असल में उसका नाम प्रकाश है । जब से उसकी शादी हुई है वो खुद को बदल लिए । अब वो शराब पीना ज्यादा पसंद नहीं करते हैं । जिससे दोनों में दूरियां बढ़ गई है । चाहते अलग अलग हो गए हैं । "

"ठीक किया है उसने"अनिता ने कहा । 

"हां,,, लेकिन वो ग़लत मानते हैं । संगति भी समान विचारधारा वालों से होती है । थोड़ा सा विपरीत हुए,, पसंद नहीं करते हैं ।  आज जिंद करके बुलाएं होंगे । "

"शायद ! बेमेतरा में मुलाकात हुआ है । मोटू भी वही गए थे । शालिनी कह रही थी ।  "

"और देखो ना ,पेट उनका भी निकल गए हैं और दूसरे को मोटू कहते हैं । हर शराब पीने और खाने वाले का शायद निकल ही जाते हैं ।  यही पहचान तो नहीं है । पीने खाने वालों का ।"

 "पेट में गैस की वजह से है क्या ??पेट ही क्यों निकल जाते हैं । "अनिता कुछ अनुमान लगाते हुए कहा । 

"क्या पता?? ” यह कहके दोनों हंसने लगे ।

कुछ देर में सब्जी पक गई । दीपक खाने का इंतजार कर रहा था । प्रकाश भी आ चुका है । दोनों बहुत दिनों के बाद आज एक साथ है । जब से खाना पीना बंद किए हैं तब से प्रकाश एकाध बार ही घर आए होंगे । जबकि उसका घर पास ही में है । दोनों में बातचीत शुरू हो गई ।दीपक ने शिकायत भरें लहजे में कहना शुरू किया ।  

"शादी के बाद बहुत बदल गए हो तुम । "दीपक ने कहा । 

" नहीं तो,,, और कुछ बदलाव स्वाभाविक है यार । शादी से पहले और अब की जिंदगी में अंतर भी तो है ।" प्रकाश ने कहा ।

"फिर भी कुछ लोग दिन भर घरों में घुसे रहते हैं । दोस्तों को भी भूल जाते हैं । हमें तो घरों में रहना बहुत बूरा लगता है,,ऊबाऊपन।  "

"अरे , नहीं !,,, इसमें बोर वाली बात ही क्या ? खुद के घर में ऐसा नहीं लगता है मुझे । हां , उन्हें लग सकता है जिसकी चाहत बाहरी हो,, ऐसे लोगों को घर परिवार में खुशी का अहसास नहीं होता है । मैं तो शराब पीना लगभग पूरी तरह से छोड़ चुका हूॅ॑ । तुम्हारे जिंद की वजह से आज आ गया । कुछ दोस्त कहते हैं कि नशा को पत्नी की वज़ह से छोड़ा हूं । जिसे कुछ लोग गलत समझते हैं ।  मुझे अहसास हुआ कि नशे में आदमी दूसरों को महसूस नहीं कर पाते । घर की जरूरतें छूट जाते हैं । पैसा और समय व्यर्थ चलें जाते हैं । भाईयों ने मेरी इन्हीं आदतों के कारण अलग कर दिया । उन्हीं लोगों ने मुझे गांव बस्ती में ज्यादा बदनाम किए हैं कि मैं  अपनी पत्नी की बात मानता हूं ।  इसी बात पर आए दिन कुछ लोग मुझपे तंज कसते हैं । बहुत बूरा लगता है ऐसी बातों से । "

"खैर, जो भी हो जो जितना खर्च करोगे,, भगवान उतना ही व्यवस्था कही से कर देते हैं । हम तो रोज पीने की व्यवस्था कर लेते हैं । पता नहीं कैसे हो जाते हैं ? खर्च करों, ऊपर वाले देने के लिए तैयार है ।जो लोग हाय हाय करते हैं, उनकी जिंदगी वैसे ही गुज़र जाते हैं ।  "

नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता कि भगवान व्यवस्था करते हैं । शायद ! हम ही व्यवस्था करते हैं । किसी को परेशानी में डाल के । अपनी इच्छाओं को पहले देखते हैं , दूसरों की परवाह नहीं करते हैं । गौर से समझने पर पता चलता है कि हमारी चाहतों की वजह से कोई ना कोई जरूरत परेशान रहते हैं । इसमें बड़प्पन वाली बात नहीं । 

दीपक कल्याणी को देखने लगा । जिसके चेहरे को देख के लग रहा था कि वह प्रकाश की बातों से सहमत थी । शालनी और विनोद भी खाने के लिए बैठ चुके थे । मस्ती के समय ऐसी बातें उसे अच्छा नहीं लग रहा था ।

तभी शालनी ने कहा -"कुछ भी कहो, नशेड़ी लोग इतनी जल्दी शराब नहीं छोड़ सकते हैं । एक चुटकुला सुनाती हूं । दो दोस्त थे । दोनों एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे । सब कुछ साथ साथ करते थे । शराब तो वे लोग बहुत पीते थे । आखिर एक दिन पहले दोस्त ने कहा कि, बहुत हो गया शराब पीना , चलों ! आज से यह सब बन्द करते हैं । दोनों ने वादा किया । मुश्किल से हफ्ता भर गुजरें था । दूसरे दोस्त ने कहा - बहुत दिन हो गए हैं यार , हम लोगों को शराब छोड़े, है ना  । तब पहले दोस्त ने कहा  - चलों ना इसी खुशी में शराब पीया जाय । इसके बाद क्या था उन दोनों ने फिर से... !"

शालनी की बातों से प्रकाश थोड़े से झेप गया । दीपक को भी अच्छा नहीं लगा । 

"छोड़ो भी ये सब,, एक तो कितने दिनों के बाद आज आए हो और फिर वही बातचीत,,इन सब बातों का कोई मायने नहीं है । अपनी अपनी सोच है । चलों एक पेग और बनाता हूं । "शालनी की बातों को अनसुनी करते हुए कहा को कहा । 

"नहीं यार बहुत हो गया ।अब मन नहीं करता है ।घर में लड़खड़ाते हुए जाओ ,, अच्छा नहीं लगता है । "

"भाभी से डरते हो ना भय्या !" शालिनी ने कहा । 

"अरे नहीं ! खुद ही अच्छा नहीं लगता है । उनसे क्या डरना । "

"सच ही तो कह रही है शालिनी । उनसे डरते नहीं तो बिंदास मजा लेते,, ऐसे किसी की परवाह नहीं करते ।"

दीपक भी तंज कसते हुए कहा । 

एक औरत की परवाह करों तो पुरुष बुरा,, लेकिन एक औरत परवाह करें तो महान ।ये अवहेलना नहीं है एक औरत की ।  खैर छोड़ो,,,। शालिनी तुम भी गई थी क्या,, बेमेतरा ! वो लड़का कौन था ? जिसके साथ तुम थी । 

शालनी सकपका गई । 

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