खुद को यकीन दिला देते

तुम खुद को यकीन दिला देते तब कहते
इश्क़, वफ़ा सब समझ लेते तब कहते

बातों में क्या है यूॅ॑ ही कह देते हैं लोग
धूप में तपकर छाॅ॑व को समझते तब कहते

मेरा भ्रम टूटा नहीं था तेरे लाख समझाने से
नस्तर है जो दिल में निकाल लेते तब कहते

तेरे दावों पे यकीन नहीं झूठी तेरी शराफ़त है 
उठते हुए सवालों का जवाब देते तब कहते

आंदोलित है हर शख्स किसी को क्या कहें
नशे में चूर हो तुम होश में आते तब कहते
---राजकपूर राजपूत''राज''








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