सुकून नहीं माॅ॑ के ऑ॑चल को छोड़कर
यहाॅ॑ हर रिश्ते आपको हिसाब में तौलेंगे
हर दर्द हल्का होगा केवल 'माॅ॑ ' बोलकर
रहो दूर तो माॅ॑ की ऑ॑खें नम हो जाती है
भूख मिट जाती है माॅ॑ की बच्चों को देखकर
जिसने दी है जिंदगी और सदा की है दुवाऍ॑
बताओं कैसे चुकाओगे कर्ज 'राज़' कुछ देकर
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