शायद तुने मुझे समझा नहीं
मेरी चाहत थोड़ा अजीब है
शिकायत थी नफ़रत नहीं
हाॅ॑ वक्त बदल गए हैं मगर
प्यार की परिभाषा नहीं
मेरी ऑ॑खें नम थी लेकिन
तुमने पलट के देखा नहीं
जैसा भी हूॅ॑ दिल का साफ हूॅ॑
दिल में मेरे सियासत नहीं
तुम्हें देख के दिल धड़कता है
मेरा प्यार अभी मरा नहीं
---राजकपूर राजपूत''राज''
1 टिप्पणियाँ
Nice
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