मेरी कविताऍं my poems for you

 my poems for you 
  
 मेरी कविताएं 
   वहीं सूख जाती हैं
   जब तुम
   मेरे कोमल भावों को
   स्पर्श नहीं कर पाते
   झुलस गई है 
   मेरी कविताएं 
   तुम्हारी उदासीनताओं से
   जिसे मैंने
   अपने प्रेम के
   भावों से बांधा है
   तुम्हारे लिए
  अपने अंतर्मन की
   पीड़ा को
  शब्दों में पिरोया है
  ताकि..

my poems for you 

  तुम 
  मुझे समझ सको
  मेरे पास आ सको
  लेकिन..
  मेरी कविताएं 
  आज भी उपेक्षित है
  शायद.. ! 
  मेरे प्रेम की अनुभूति 
  नहीं कर पाएं हो -
   तुम !!!!!

मेरी कविताएं
मेरे मन की बात है
जिसे तुम्हारे सामने 
प्रस्तुत करता हूॅं
और सोचता हूॅं
तुम पढ़कर समझ जाओगे
मेरे मन की बात
जो कभी कह नहीं पाता है
तुम्हारे सामने
और जिस दिन समझ जाओगे
मेरी कविता
सफल हो जाएगी
जिसे किसी का 
प्रमाण की जरूरत नहीं होगी !!! 




Reactions

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ