गली मोहल्ले सुनसान है

गली-मोहल्ले सुनसान है
बेबस आज हर इंसान है

वक्त देखो ठहर- सा गया
क्या धरती क्या आसमान है

सारी कायनात बोल रही है
इंसान तेरी क्या पहचान है

हमने कभी ना सोचा था
इतना चिंतित क्यों विज्ञान है

तुम लौट आओ अब जिंदगी
तुझ बिना हर कोई परेशान है

---राजकपूर राजपूत''राज''




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