कोई कह दे जाके उस आसमां से Sky's Height Poem

Sky's Height Poem आसमां की ऊंचाई 


कोई कह दे जाके उस आसमां से
मेरा दिल है बडा़ उसके ऊंचाई से

उसका रंग ही क्या है बस खाली-नीला
कई रंगों के फूल खिले हैं बडी़ तैयारी से

वो सम्भाल के चलते है दामन अपना
हम है गुलाब हमारा रिश्ता है कांटों से

सब कुछ इकट्ठा करके गुरूर हो गया
आज भी अच्छा है मेरा गांव शहरों से

कमबख्त खुद को शरीफ बता रहा था
हाँ,लेते है रिश्वत जो टेबल के नीचे से

बना के दिया ताजमहल सुकून नहीं उसे
हमें सुकून हैं अपने मिट्टी के मकानों से !!!

Sky's Height Poem


मुझे बताया गया था 
ताजमहल को 
प्रेम की निशानी के रूप में 
दिखाया गया था 
महानता के रूप में 
जबकि कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी 
यह कहते पाया गया 
कि 
राम का साथ देने वाले 
हासिए में शामिल कर दिए गए 
जबकि राम भगवान बन गए 
जिसे पता नहीं है 
आज भी सभी जानते हैं 
किसने साथ दिया था 
राम का 
जानते तो उसे नहीं है 
उपेक्षा उतनी नहीं हुई 
जितनी ताजमहल बनाने वाले के 
हाथों को काट दिए थे । 
क्रुरता दिखाने वाले को 
प्रेम का प्रतीक माना 
जबकि हाथ कटने वाले को 
कोई इंसान के रूप में भी नहीं जानते हैं ।।।।।

------राजकपूर राजपूत 


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Sky's Height Poem


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