खरीदा हुआ रिश्ता कब कहाॅ॑ टिकता है Purchased Relationship Ghazal

Purchased Relationship Ghazal 
खरीदा हुआ रिश्ता कब कहाॅ॑ टिकता है
ऐसा रिश्ता अब बाजार में बिकता है

मोल ना पूछो अब कोई बाजार का
इस दौर में जो दिखता है वो बिकता है

भ्रम फैलाने में माहिर है वो शख्स बहुत
जवाब कम सिर्फ सवाल ही लिखता है

उसे पसंद नहीं हूॅ॑ फिर भी पास आए
आदमी करीब का फिर भी दूर लगता हैं

ना हमें पसंद वो फिर भी मिलते हैं रोज
ऐसे-वैसे लोगों का भरोसा कौन करता है !!!


Purchased Relationship Ghazal


बाजार में सब्जी विक्रेताओं से
पूछ कर आगे बढ़ा
मूल्य सब्जियों के
भाव मेरे हिसाब के
बेचेगा वहीं
जिसमें जमेगा विक्रेता के भाव से
मैंने किसी को
क़ीमत कम करने के लिए नहीं कहा
मैं तो अपना बजट अपने हिसाब से लगाया
ख़रीदा भी उसी से !!!!

कबूल तो हो जाता है
बहुत कुछ
रिश्ते चार लोगों के समकक्ष
लेकिन चलते हैं रिश्ते
एक दूसरे की समझ से !!!!

---राजकपूर राजपूत''राज''


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