ये उदासियाॅ॑ बताती है दर्द तेरे सीने का

ये उदासियाॅ॑ बताती है दर्द तेरे सीने के
अब नहीं रहे इस दौर में मजा जीने के

न जाने क्यों वो शख्स अन्दर से टूट गया
उसने कोशिश की थी बहुत मुस्कुराने के
 
दिल की बात रह गई थी शायद दिल में
जी चाहता था गिले-शिकवे निकालने के

खुदा ने नवाजा है हाथ पैर तो खुद्दारी रखो
क्या मतलब है बेवजह हाथ फैलाने के

सिखाओ उसे भी अब मोहब्बत की बातें
जिसे बहाना चाहिए बस शराब पीने के

कितनी चाहत थी उसके सीने में पता नहीं
यूॅ॑ ही इंकार किए और ख़बर आई मरने के

-----राजकपूर राजपूत "राज"









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