जब कोई इंसान

जब कोई इंसान
हिसाब करने बैठ जाते हैं
उस वक्त रिश्तों की
अहमियत घट जाते हैं
लाभ-हानि की जोड़ में
जब कोई इंसान
सवाल करने बैठ जाते हैं
उस वक्त दिल में
प्रेम घट जाते हैं
संशय भर जाते हैं
और रिश्ते फस जाते हैं
कई शब्दों से
मायने बदल जाते हैं
तेरे मेरे तर्को से
रास्ते बदल जाते हैं
जो दिल से - 
दूरियों में बदल जाते हैं
हाॅ॑, जो कभी नहीं मिलते
क्षितिज की तरह
दूर से देखने से
प्रतीत होता है
मिलते हुए
लेकिन बहुत दूर है
धरती और आसमान
---राजकपूर राजपूत''राज''








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