शायद तेरी बातों में मैं खो गया था

शायद तेरी बातों में मैं खो गया था
दूर क्या हुए तेरे लिए मैं रो गया था

मेरी नजरें ढूॅ॑ढ रही थी तुम्हें राहों पर
देर जो हुए ये दिल उदास हो गया था

मुश्किल से गुजरती है स्याह रातें मगर
तेरी यादों को सजा के मैं सो गया था

घर परिवार में सबको फ़िक्र है मेरी 
सेहत के खातिर ताबीज दे गया था

ना पूछो मेरी हालत मेरे महबूब अभी
छूपाया बहुत मगर पता चल गया था

-----राजकपूर राजपूत "राज़"
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