इस शहर से अच्छा तो अपना गांव है
इस शहर से अच्छा तो अपना गांव है
जहाॅ॑ एसी नहीं मगर बरगद की छांव है
गांव के खुलें आसमान में पंक्षी गाते हैं
तन्हाई है इस शहर मेंं डरते हर पांव है
दौड़ भाग में छूट गए जिंदगी की खुशी
शांत बहती नदियाॅ॑ धीरे चलते नाव है
छू सकते हैं ताजी हवा, नज़ारों को भी
जहाॅ॑ बच्चें खेल खेल में लगाते दांव है
लौट आओ जिंदगी अपनो के बीच मेंं
हाॅ॑, इस शहर से अच्छा तो मेरा गांव है
कौन जाने कब आखिर सफ़र होगा सबका
करने वाले के यहां अलग भाव है
____राजकपूर राजपूत
1 टिप्पणियाँ
अति सुन्दर
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