तु जो बिछड़े तो मर जाएंगे हम

तू जो बिछड़े तो मर जाएंगे हम 


कह देते हैं , तू जो बिछड़े तो मर जाएंगे हम
तुझे छोड़ के इस दुनिया से कहाॅ॑ जाएंगे हम

प्यार करते हैं तो कभी साथ ना छोड़ेंगे हम
मुश्किल है सफ़र तेरे बिना कैसे गुजारेंगे हम

कोई पुछो उस चाॅ॑द से तन्हाई क्या होती है
दिन गुजर जाते हैं रातों में आहें भरते हैं हम

शबनम की मोती में बड़ी नज़ाकत होती है
तेरी नज़रों की रौशनी से शरमा जाते हैं हम

बहलाती है ये दुनिया इश्क में क्या रक्खा है
बसी हो मेरी साॅ॑सों में रोके तो मर जाएंगे हम

-----राजकपूर राजपूत'राज'

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