हमारा दिल अब..


हमारा दिल अब दीवाना नहीं रहा
ये दिल का ख्याल पुराना ना रहा

कोई उसकी भी ख़बर सुनाओं यारों
महबूब की गलियों से आना जाना ना रहा

बदल गए हैं सब वक्त के साथ-साथ
वो गांव मेरा पहले जैसा पुराना ना रहा

तरक्की के इरादे से यहां दौड़ते हैं लोग
जद्दोजहद, मेहनत में बस ईमान ना रहा

मिलते हैं अलहदे- अलहदे के लोग यहां
दिल के जज़्बात किसी का कायल ना रहा

जिंदगी का सफर कोई पूछे कैसे तय किए
हर घड़ी की चोट से ये दिल घायल ही रहा

हर मुसीबतों का रास्ता निकालते थे हिन्दुस्तान
बहस करें जहां बैठ के ऐसा सदन ना रहा

__राजकपूर राजपूत 'राज'
हमारा दिल अब

Reactions

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ