अस्मिता -एक लड़की की Story of a girl - Asmita

Story of a girl - Asmita-  बछड़े की सींग और आदमी मूंछ क्या उग आते हैं । लोग बछड़े को काम करने के लिए और लड़के को शादी के लायक समझ लेते हैं । भले ही बोझ उठाने की ताकत हो न हो ।


ठीक इसी तरह कुछ लड़के शादी जैसे रिश्तों की गहराई समझते नहीं हैं और शादी करने के लिए अधीरता दिखाने लगते हैं । जबकि लायक होते नहीं । 

Story of a girl - Asmita

राहुल शादी के लिए उतावला हो रहा था । मां-बाप से कह चुका था । मेरी शादी जल्दी करो । मां-बाप ये सब सुनकर अचंभित थे । बेटा खुद कह दिया ! अचरज में पड़ गए । इसलिए पिताजी ने कह दिया कि अपने मामा को लेकर कोई लड़की अपनी पसंद के ढूंढ लें । मैं नहीं जाऊंगा । तुम्हारी शादी, तुम्हारा मन । 


कुछ दोस्तों की शादी हो चुकी थीं । इसलिए उसका भी ध्यान शादी में चला गया । 

कई गांव घुम चुका था मगर उसकी पसंद की लड़की नहीं मिली । राहुल उन्हीं दोस्तों को लड़की देखने ले जाता था । जिनकी अभी शादी नहीं हुई थी । उन लोगों को दिल से मानते थे । कुछ जगहों पर राहुल को लड़की पसंद आने पर उनके दोस्त मना कर देते थे । बहुत ढूंढा मगर मिली नहीं । थक हार कर मां-बाप को अपनी पसंद से लड़की ढूंढने के लिए बोला । 


आजकल बड़ी मुश्किल से लड़के/लड़कियों के लिए रिश्ते मिलते हैं । जितना कठिन लड़की के लिए वर ढूंढना है उतना ही कठिन लड़कों के लिए भी है । पूरी जांच परख होती है । 

आखिरकार राहुल के पिता को एक लड़की पसंद आ गया । जब पिताजी लड़की देखने गए थे , तो चार समाज के बीच में अपने लड़के की समझदारी की तारीफ किया था  । लड़की से भी कहा गया था कि खुश रहेगी । बस हां कह दे । लड़की को लड़का से कोई शिक़ायत नहीं थी । सांवला था लेकिन चेहरे से कोई कमी नहीं थी । 

दहेज के विरोधी होकर भी राहुल के पिता जी ने बहाने से दहेज मांग ही लिया । बेटी अच्छे घर में जा रही है तो सामान भी चार लोगों को रास आए । ऐसी उम्मीद सभी करते हैं । लड़की के घर वालों से कह दिया । 


राहुल को लड़की पसंद नहीं आया था । वो तो घर वालों के दबाव में हां कह दिया । क्योंकि उसके दोस्तों की पत्नियां सुन्दर थी । इस लड़की से बेहतर .. इसलिए खलता था  । जबकि लड़का,  लड़की के सामने फीका था । उसे तो कोई लड़की भी नहीं मिल रही थी । 


राहुल के घर वालों ने जमीन जायदाद है, सो भविष्य में मुसीबत आने पर मदद करेंगे । इसलिए तैयार कर लिया , साथ-ही-साथ दहेज अच्छे आने की उम्मीद थी । 

लड़का को भी सही लगा, सबके समझाने पर । ताकि भविष्य में किसी प्रकार की कोई समस्या न हो । आखिर पिता है, सभी पहलुओं को तौल कर रिश्ता जोड़ा है । 


शादी धूमधाम से हुई । सभी लोग खुश थे । दहेज का सामान मनमाफिक मिला था । लड़की पक्ष के लोगों ने शिकायत का मौका नहीं दिया । 


मां-बाप तो खुश थे लेकिन राहुल को अच्छा नहीं लगता था । अपनी पहली रात शालिनी से अनिच्छा पूर्वक व्यवहार किया । अनिच्छा होने के बावजूद भी शारीरिक मिलन किया । शालिनी को लगा कि सकुचा रहे हैं । जबकि ऐसा नहीं था । यौन भावनाएं थी लेकिन कुछ बातें खटक रही थी । राहुल को । 


सुबह घर से खाना खा कर निकलते तो वो शाम को वापस आता था । दिन भर दोस्तों से गप्पे मारना । ऐसे कोई नई-नई शादी होने पर करते हैं । अपनी पत्नी को एक पल भी नहीं छोड़ पाते हैं, मगर राहुल .. । जब अभी से रुचि नहीं दिखा रहा तो दो चार साल में... कैसे रहेगा ? क्या किसी और के साथ कोई चक्कर - वक्कर है ? कई तरह के विचार मन में आते थे  । लेकिन कहें किसे ?


शालिनी कई बार कह चुकीं थीं । ऐसे छोड़ कर मत जाया करो । मुझे दिनभर बोर लगती है । यहां अभी अपना कौन बना है  ....  । जिंदगी तुम्हारे साथ जीने आई हूं । तुमसे खुलकर बातें करूं ।मेरा मन होता है । सिवाय तुम्हारे । मैं किससे बातें करूं !घर में मां-बाप सिर्फ हैं । एक बहन है । वो भी ससुराल चली गई है । 

इन बातों का कुछ भी असर नहीं होता था । वो दोस्तों को छोड़ नहीं सकता था । ऐसा लगता है कि उनके दोस्त ही जिंदगी भर साथ देंगे  ! देंगे भी लेकिन हमारे बारे में भी सोचते । कहीं आवारा लड़कों की संगति तो नहीं है ! 


धीरे-धीरे शालिनी को सब समझ आने लगी । राहुल उसे पसंद नहीं करता है । शादी से पहले उनके पिताजी कहे  थे । राहुल अच्छा लड़का है । बहुत समझदार है । यही है समझदारी । 

मन में कई विचार उमड़ता घुमड़ता था । मगर किससे कहें । सास ससुर को कहूंगा तो कहने लगेंगे कि दो चार दिन हुए हैं , यहां आए और शिकायत शुरू । मायके वालों को भी नहीं कह सकते  । वहां भी यही कहेंगे । 


कभी कभार उनके दोस्त आ जाते तो उनमें से एकाध अजीब नज़रों से देखते थे । उसे लगता था कि उनके दोस्त उससे शारीरिक जुड़ाव सा महसूस करते हैं । उनके शरीर को मानसिक रूप से स्पर्श कर रहा है । उसकी आंखें घुरती थी । जैसे उसे अंदरुनी रूप से जानती हो । एक औरत क्या क्या इच्छा रखती है !

शालिनी शर्म से सिर झुका लेती थी । 


आखिर एक रात शालिनी से रहा नही गया । चाहे कुछ भी हो जाए ,, बिना कहे कोई समझ पाता है, आजकल । बिना टोकें तो मनमर्जी ही चलाएंगे । खासकर आजकल के जमाने में । अभी नहीं कहुंगी तो हमेशा यही स्थिति रहेगी । उसने राहुल से पूछा " मैं तुम्हें पसंद नहीं हूं  ? "


"क्यों ? ऐसा किसलिए पूछ रहे हो । "समझदारों की तरह बातें कहीं । पुरे आत्मविश्वास के साथ । जिसमें अहंकार भी था । 


" तुम्हारा इस तरह से दिन भर घर से बाहर निकल जाना । मुझे अच्छा नहीं लगता है । "


"तो ,,आखिर क्या करूं । उबाऊपन लगता है । घर के लोग दिनभर साथ रहेंगे तो क्या सोचेंगे । अभी काम भी तो नहीं है, घर में । "बहाने से बहलाने की आदत अच्छी थी । 


"घर में रहो या न रहो । घर वाले सब जानते हैं । शादी क्यों की जाती है । उबाऊ इसलिए लगता है कि  मैं पसंद नहीं हूं । इस घर में । मेरे आने के बाद भी लगता है...। ऐसा लगता है कि तुम्हारे जीवन यथावत है । जैसे कल था । कोई अंतर नहीं । "


राहुल चुप हो गया । कोई जवाब नहीं दे पाया या देना नहीं चाहता था । उसने केवल शादी को परम्परागत रूप से लिया था । जैसे सबकी होती है । उसकी हो गई । बस । 


"यदि मुझे पसंद करते तो शायद अपने दोस्तों को हमारे अंतरंग संबंधों को नहीं बताते । दांपत्य जीवन कैसे जीते हैं ? क्या करते हैं ? किस तरीके से करते हैं ? मेरी शारीरिक संरचना कैसी है ? सब-कुछ दोस्तों से साझेदारी करते हो । कितनी शर्म की बात है । "शालिनी ने कहा । 


राहुल को गुस्सा आ रहा था । इस लड़की को अभी दो चार दिन हुए हैं , यहां आए । मुझे ज्ञान दे रही है । बिस्तर पर बिना कुछ कहे करवट ले कर सो गया । जी कर रहा था दो चार झड़ दे । 


शालिनी भी बिना कुछ कहे एक किनारे सो गई । जो  सुनना नहीं चाहते हैं उसे सुनाने से कुछ नहीं मिलेगा । कितनी उदासीनता है । मेरे प्रति । 

एक स्त्री जीवन भर इस तलाश में जीती है कि उसके पति उसकी भावनाओं को समझे, उसे सम्मान दे,वक्त पड़ने पर अपना पूर्ण समर्पण दे, एवं एक सच्चे साथी का पर्याय बने , वो उसकी जिंदगी का सुकून बन जाए, उसे पति का कंधा चाहिए था , जिससे लिपटकर उसे अपनेपन का एहसास हो ! मगर राहुल..!


राहुल एक दिन दोस्तों के बीच में बैठा था । मस्ती भरी बातें हो रही थीं । कौन सी लड़की किसके चक्कर में है ! कौन लड़का किसके लिए पागल है ! सभी मज़े लेकर बातें कर रहे थे । इसकी मंडली में ऐसी बातें आम थी । अचानक एक दोस्त ने राहुल से पूछ बैठा -

"और सुना अपनी शादी का जीवन कैसे चल रहा है । भाभी तो ठीक से बातें करती है ना ।"


इतना सुनते ही राहुल आव देखा न ताव चट से थप्पड़ जड़ दिया । सभी दोस्त सन्न रह गए । कोई कुछ कहता तो झगड़ा बढ़ जाता । फिर एक दोस्त ने कहा

"ये क्या है राहुल  । ऐसे कोई हाथ छोड़ता है । "


"ये क्या पूछ रहा है । "


"तो बता देते सब ठीक है ।"


"नहीं कुछ और पूछ रहा था ।"


"तुम ही तो बताते हो, अपनी घरवाली के बारे में । पहले से । अभी बुरा लग रहा है । उस दिन तो कोई नहीं पूछा था । तुम्हें नहीं पता जिनकी शादी नहीं हुई है । वो किसकी कल्पना करेंगे ।आज महसूस हुआ ।"


राहुल के पास इसका कोई जवाब नहीं था । सन्न रह गया । कुछ पल रहे, फिर चला आया घर की ओर । 


शालिनी ठीक कहती थी । कुछ दोस्त उसे ग़लत निगाह से देखते हैं । कितनी जल्दी ताड़ गई । मेरी कमजोरियों और गलतियों को । मैं ही नहीं समझ पाया । पछताता हुआ घर आ गया । 

उसी दिन  उसके पिताजी को ख़बर मिल गई । राहुल ने किसी पर हाथ छोड़ दिया है । उसे बहुत दुख हो रहा था । शादी हो गई और ऐसी हरकत । सब शादी के बाद सुधर जाते हैं और ये.. । डर गया । 

राहुल घर पर था लेकिन उससे कुछ नही कहा । शालिनी को बुलाया ।

" इसे सम्हाल ले बेटी । इस नालायक को । जिसके हाथ छूट गए ना वो बड़ी आसानी से दोहरा सकते हैं । सम्हाल लें । ज्यादा मैं नहीं कहुंगा, तुम समझदारी दिखाओ ।"


इतना कहकर चुप हो गया । पिताजी इतने जोर से कह रहे थे कि राहुल सुन ले ।बाप- बेटे कभी बात किए नहीं थे । अपनी - अपनी मर्जी और तरीके थे, उन दोनों के । इस घर में संवाद की कमी थी । 


राहुल घर के अंदर था । सब सुन रहे थे । लेकिन कुछ नहीं बोला । शालिनी भी डर गई थी । किसी पर हाथ छोड़ना बहुत बड़ी बात है । 


रात में घर के सभी काम करके जब शालिनी अपने कमरे में गई तो डर रही थी । समझ नहीं पा रही थी । राहुल को । वो कैसा है ? राहुल बिस्तर पर सो चुका था । एक किनारे वो भी सो गई । डर रही थी । कल मायके वालों को जरूर बताऊंगी । मैं यहां अपमानित हो रही हूं । यहां मेरा निभ पाना मुश्किल है । 

तभी राहुल करवट बदल कर शालिनी को निहारने लगा । 

बत्ती जल रही थी । शालिनी अभी नींद में नहीं थी । आंखों खोली तो पूछ ली । 

"क्या हो गया है जो इस तरह से निहार रहे हो । "


"कुछ नहीं,, तुम सही हो । मैं गलत हूं । "


"किसलिए "


"यही कि तुम अनुभव से कहती हो । मैं अनुमान से । मेरे साथी गलत हैं । मैंने तुम्हारा अपमान किया है । मुझे माफ़ कर दो । मुझे नहीं बताना था । हमारे निजी जीवन के बारे में ... सब मजे लेते हैं ।"


इतना कहकर चुप हो गया ।कह नहीं पाया । शर्मिंदगी महसूस कर रहा था । 

शालिनी करवट बदल ली । राहुल को निहारने लगी । 


"इसमें माफी वाली बात नहीं है । बचपन के साथी थे । आपने अनजाने में बता दिया । आप समझ गए यही बहुत है ।" 

शालिनी राहुल के करीब आते हुए बोली । प्यार से राहुल के बालों पर हाथ फेरने लगी । 


"तुम बहुत सुन्दर हो । देखो मेरा हाथ और तुम्हारा । कौन उजला है । "


शालिनी ने कहा "तुम । "


"नहीं तुम ।"


शालिनी बहुत खुश थी । राहुल की बातों से । उससे लिपट गई । जो पसंद आ जाता है । वहीं सुन्दर लगता है । दोनों इसी भाव में सो गए । 


राहुल अब बच्चे की तरह हो गया था ।घर से बाहर निकलते समय बता कर जाते थे । थोड़ी देर में आ रहा हूं या इतने समय तक आ जाऊंगा । शालिनी से हर बात पुछता था । जब दोनों की बातें मिल जाती थीं  , तब कहीं जाकर निर्णय लिया जाता था । 

शालिनी ने किसी भी दोस्तो को छोड़ने की सलाह नहीं दी । उसकी चाहत थी कि उसका सम्मान हो । उसे प्यार मिले । खासकर पति से । बस । 


- राजकपूर राजपूत 


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