सम्मान क्या है - कविता

 किसी के नज़रों में सम्मान पाना
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उसके जैसा बन जाना है 
उसकी बौद्धिक और भावनात्मक दृष्टिकोण
दूसरों में खुद को देख पाना है
ऐसे गुण जिसमें दिखे
उसमें अद्भुत अपनापन पाना है

जब कहीं ऐसा हो जाए
तुम्हारी राह उसकी राह अलग हो जाए
ऐसे में अजनबी बन जाना है
उसके जैसा कहां बन पाना है

लोग अहम में जीते हैं
कभी टकरा मत जाना
वर्ना लोग तुम्हें समझेंगे
अपने दुश्मन जैसे बन जाना
स्वीकार उन्हीं का होता है
जो हां, हूं कहते जाता है
कभी सच बोल न देना
वर्ना दोस्तों को
मुश्किल हो जाएगा पहचानना !!

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आखिर मैं कहकर क्या पाऊंगा 
बात खाली रहेंगी मैं हार जाऊंगा 
जो बिन मांगे मिल जाते हैं 
उसे मैं कैसे सम्हाल पाऊंगा !!!

मैं हारूंगा 
जो तुम्हें समझा रहा हूं 
जीत मेरी तब होती 
बिन कहें समझ जाते 
मेरी भावनाओं को !!!!





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