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ओस की बूंदें
ओस की बूंदें
राजकपूर राजपूत
नवंबर 30, 2021
ओस की बूदें
बिखरी हुई पड़ी है
हरी-हरी दूबों पर
तुम आओ रश्मिरथी
इसे समेटने !!!
कविता
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