समझ अपनी अपनी स्थापित है

poetry on social thinking

 समझ अपनी अपनी स्थापित है

और लोगों को आजादी है

एक नजरिया बनाकर जीने का

जिसमें टिकें रहने का

भले ही वो मुर्खतापूर्ण क्यों न हो

भले ही दूसरे का नुक़सान क्यों न हो

लेकिन व्यक्ति स्वतंत्र है

किसी भी विचारधारा को जीने के लिए

उसे परवाह करने की जरूरत नहीं है

इसलिए हम एकमत नहीं हैं

किसी बात पे

उसे स्वीकार करना पड़ेगा

शायद ! यही आजकल की समझदारी है

जब तक स्वयं के लिए घातक न हो 

विरोध न करो 

या फिर बंट जाओ

दो विचारधाराओं में 

मुर्खतापूर्ण कट्टरता के साथ !!!!

poetry on social thinking

तुम कह न सके

उन बातों को

जिसमें सच्चाई थी

यह समझदारी देखाकर

नंगा से कौन लड़े 

और तुम उसे समझाते रहे

जो समझते थे

बहुत पहले से

इसमें ही तुम्हारी कायरता थी !!!


तुम्हारी दूषित मानसिकता ने

स्थापित आदर्शों को धूमिल कर दिया

जिसमें स्थायित्व था

जीने के

तुम्हारे चुन-चुन कर

हथियाने की आदत

उन शब्दों को

जिसमें तुम्हारा एजेंडा

सेट होता है

उन महापुरूषों के चरित्र को

धूमिल कर दिया

तुम्हारी सियासत !!!!


राष्ट्रवाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के लिए

ठीक है

भारत के लिए नहीं

क्योंकि बिन राष्ट्रवाद के

कई पाकिस्तान बनाना चाहता है

ऐसे मजहबी लोग !!!

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