ये आज अच्छा ये कल बुरा है
कह दो कोई दिल की बात तो बुरा है
मौसम का मिज़ाज था कि आदमी का
तबीयत ख़राब हो तो मौसम बुरा है
वो आदमी भले मानुष था अब तक
चुप था जब तक मुँह खोले तो बुरा है
उसे मनमाफिक बातें ही अच्छी लगती है
मीठा -मीठा गप-गप कड़वा हो तो बुरा है
वो नजरअंदाज करके महान बने हैं
सच के लिए खड़ा हो कह दो तो बुरा है
कोई क्या साथ देगा मेरे सफर में "राज"
अकेले ही अच्छा है किसी की उम्मीद बुरा है
0 टिप्पणियाँ