ghazal on life
Aakhon mai Kami rah jati hai meregeet
थोड़ी कमी रह जाती है
ऑंखों में नमी रह जाती है
कुछ और प्रयास की जरूरत है
मेरी किस्मत में कमी रह जाती है
बहुत कुछ किया मगर वो खुश न हुआ
मोहब्बत में कमी रह जाती है
रो-रोकर रात गुजारी है चॉंदनी
सुबह हरी-हरी दूबों पे नमी रह जाती है
जितना चाहा उतना मिला नहीं मुझको
मेरी आंखों में नमी रह जाती है
मैं इसलिए चाहता हूं तुझे मेरे दोस्त
तेरे सिवा मेरी जिंदगी में कमी रह जाती है !!!
ghazal on life
Aakhon mai Kami rah jati hai meregeet
कोई कमी थी
आंखों में नमी थी
तुम्हें देखकर लगा
मेरे प्रेम बीज को
अंकुरित होने के लिए
तेरे पास नमी थी !!!
-राजकपूर राजपूत
0 टिप्पणियाँ