वो बरसों के याराने
उससे बिछड़े तो जाने
मुद्दत हो गई हॅंसी मेरी
तुमको देखा तो जाने
वो अल्हण की मस्ती
गुजरा तेरी बस्ती तो जाने
झुर्रियॉं है चेहरे पे ढूंढते- ढूंढते
खड़ा था आइने के पास तो जाने
हारा था मैं दौड़-धूप से
आराम तेरे पास आए तो जाने
---राजकपूर राजपूत''राज''
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