तेरे करम की बारिश
जब भी बरसेगी
मेरी ऑंखें नहीं तरसेगी
मेरा प्यासा मन यही कहेगा
निरंतर बारिश बरसेगी
मेरी आत्मा तृप्त होगी
जब भी बारिश होगी
इसलिए बरसों रे बादल
धनघोर,, रिमझिम रिमझिम
मेरे प्यार की फसल लहलहाने तक
तेरे करम की बारिश
जब भी बरसेगी
मेरी ऑंखें नहीं तरसेगी
मेरा प्यासा मन यही कहेगा
निरंतर बारिश बरसेगी
मेरी आत्मा तृप्त होगी
जब भी बारिश होगी
इसलिए बरसों रे बादल
धनघोर,, रिमझिम रिमझिम
मेरे प्यार की फसल लहलहाने तक
0 टिप्पणियाँ