कुबूल कर लो
कांटों को फूल कर दो
लफ्ज़ मेरे अधूरे हैं
पढ़कर गजल कर दो
बुरा चाहता है दुश्मन जमाना
रहकर साथ विफल कर दो
तुझ बिन जिंदगी अधूरी
आकर साथ मेरे सफल कर दो !!!
शर्तों पर जीने वाले
दिमाग से जीने वाले
अभी दिल कहां है
प्यार करने वाले !!!!
कुबूल कर लो
कांटों को फूल कर दो
लफ्ज़ मेरे अधूरे हैं
पढ़कर गजल कर दो
बुरा चाहता है दुश्मन जमाना
रहकर साथ विफल कर दो
तुझ बिन जिंदगी अधूरी
आकर साथ मेरे सफल कर दो !!!
शर्तों पर जीने वाले
दिमाग से जीने वाले
अभी दिल कहां है
प्यार करने वाले !!!!
0 टिप्पणियाँ