poem- मेरा प्यार- प्रेम आग्रह से प्राप्त नहीं किया जा सकता है ! प्रेम को माँगा नहीं जा सकता है ! प्रेम बिन कहें समझा जाता है ! प्रेम करुणा है ! किसी के प्रति ! जो प्रेमी को देखकर जग जाती है ! हृदय के करुणा ही है ! जो दया , सहानुभूति , के रूप में प्रगट होती है !
कविता हिंदी में 👇👇
poem- मेरा प्यार
मेरा प्रेम आग्रह नहीं है
जिसे पुकार कर कहूॅं
तुम्हारे सामने
और न ही अनुरोध है
जिसे विनय पूर्वक कहूॅं
तुम्हारे सामने
मेरा प्यार करूणा है
तुम्हारे प्रति
जो तुम्हें देख कर
पसीज जाता है
हृदय मेरा
एक करूण उद्गार के साथ
ऑंखें भर आती है
तुम्हें देखते ही
जिसे मैं खुद
समझ नहीं पाता हूॅं
फिर तुम्हें कहॉं से समझाऊॅं
मेरा प्यार !!!!!
मैंने उसे छुना चाहा
स्पर्श कर महसूस करना चाहा
मेरी जिंदगी में उसकी कीमत
शामिल कर
अपनी हैसियत बढ़ाना चाहा !!!
मैं तुझे कैसे प्यार करूं
तुम लेने को तैयार नहीं
जमाने की चाह है
शायद ! मैं तेरा यार नहीं
जितना चाहा उतने ही दूर गए
भीड़ में शामिल हुए तो मुझे भूल गए
एतबार करूं तो कैसे करूं
तेरी दिल्लगी कुछ और है
मैं क्यों तुम्हें चाहूं !!!
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1 टिप्पणियाँ
बेहतरीन
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