इंसानियत भूल गए Humanity poem

Humanity poem

 पैसे कमाने के चक्कर में

दिमाग तो लगाया 

मगर

दिल भूल गए

नाम तो कमाया पैसों से

Humanity poem

मगर 

ईमान भूल गए

जिंदगी की तलाश में

दौड़े बहुत 

मगर

अति व्यवस्तता में

जिंदगी भूल गए

पर्सनल लाइफ तो जाने

मगर 

सामाजिक गुण भूल गए

पढ़-लिखकर 

अधिकार तो जाने

मगर

कर्तव्य भूल गए

अच्छी बातें जानें बहुत

मगर

अपनाना भूल गए

होशियारी सीखें बहुत

मगर

समझदारी भूल गए

तेरी चाल-चलन

अजीब है इंसान

अपने स्वार्थ में

इंसानियत भूल गए !!!


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---राजकपूर राजपूत''राज''




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