गले लगाकर रोया वो
पांव फटकर रोया वो
तकलीफ़ जिसे मिली थी
ऑंखें भरकर रोया वो
शिकायत थी सीने में
बाहों में भरकर रोया वो
उम्मीद जिससे होती है
बच्चे बनकर रोया वो
आखिर जाए तो जाए कहॉं
उससे बिछड़कर रोया वो !!!
महंगे जुते - चप्पल ऊंची हिल की सेंडिल
वहीं पहनते हैं
जो कम चलते हैं
गरीब तो केवल
टिकाऊ और सस्ता ढूंढता है
उसे चलना अधिक !!!
पांव पटक कर रोया वो
बच्चा मार खाकर
मां के पास गया वो
जानता है मां का ग़ुस्सा वो
उसकी नाराजगी और प्यार वो !!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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