तुम नहीं थे वो

नहीं वो तुम नहीं थे
जो दिखावा कर रहे थे
अपनी मीठी-मीठी बातों से
आघात कर रहे थे
जिसका अर्थ कुछ और था
बेशक बातों में अपनापन था
लेकिन तुम्हारे इरादों में
कुछ और था
जिसे मैंने देखा नहीं था
और काबिल समझ लिया
मैंने तुझे 
अपने प्यार में
जबकि तुम नहीं थे वो
जिसे मैंने चाहा था !!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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