Poetry Hindi is Inadequate
अपर्याप्त है
तेरा कुछ क्षण आना
मेरे पास
पानी के बुलबुले जैसे
क्षणभंगुर
स्पर्श होने से पहले
मिट जाना
और मेरी स्मृति में
तेरा अंकन न हो पाना
मन का अधूरापन है
जिससे नाउम्मीदी
जागती है
हृदय तड़प जाता है
दर्द छलक जाता है
मेरी ऑंखों में
मेरी सॉंसे ढूंढती है
तुझे
हवाओं में
तेरी खुशबू
बेचैन होकर
और हवाओं के झोंके
बिखरा देती है
मुझसे दूर
बहुत दूर !!!
Poetry Hindi is Inadequate
अपर्याप्त है
तेरी बातें
तेरी मुलाकातें
तेरे वादे
तेरा साथ
तेरा ख्याल
जब तक
मेरे हृदय को
स्पर्श न कर जाय
तुम्हारा प्यार
मैं आश्वस्त नहीं हो सकता हूं
इसलिए मुझे छूओ
मेरी स्मृति में
बसने तक !!!!
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---राजकपूर राजपूत''राज''
1 टिप्पणियाँ
बहुत बढ़िया
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