Riot and Business Poem
दिल का कारोबार मंदा चल रहा है
अब दिल का रिश्ता गंदा चल रहा है
मतलब निकालने में सभी माहिर हैं
जज्बातों में पैसों का धंधा चल रहा है
कौन है तेरा कौन है मेरा किसे कहें
मीठी-मीठी बातों का फंदा चल रहा है
लोग सम्भल जाएं तो ठीक है आजकल
वर्ना सुचना है शेयर बाजार ठंडा चल रहा है !!!
Riot and Business Poem
दंगा तो खुब हुई है
इसी से पाकिस्तान और बांग्लादेश हुआ है
सींचे हैं ख़ून से धरती
इसलिए देश कट्टर हुआ है
अच्छी बातें वहीं बोल देते हैं
जिसके सीने में मतलब भरा हुआ है !!!
लिखें तुमने मौका परस्ती में
अच्छों की बस्ती में
लेकिन नहीं लिख पाए तुम
मुर्खों की बस्ती में
डर लगता है सच कहने पर
गला काट देंगे
तुम्हारी बुद्धिमत्ता दिखती है
समझदारों की बस्ती में !!!
दंगा हर लोगों के लिए अवसर है
बड़े नेता से छोटे नेता तक
बड़े साहित्यकार से छोटे तक
जिसे मंज पर भाषण के लिए शब्द नहीं मिलता
जिसे साहित्य के लिए भाव नहीं मिलता
वो दंगा देखकर
सब कुछ पा जाता है !!!
दंगा में नंगा वहीं होता है
जो पीड़ित हैं
आरोपी तो
बहादुर समझें जाते हैं
खासकर वर्ग विशेष के लोग
जिसे बचाने बुद्धिजीवी, टेरेरिस्ट सेकुलर गिरोह आ जाते हैं
वो दंगा सफल हो जाते हैं !!!
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---राजकपूर राजपूत''राज''
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