हमारे पास जो कुछ है
जिसमें तू भी कुछ है
नजरें मिली और मुस्कुरा दी
बता तेरे सीने में भी कुछ है
जमाने से मैं लड़ जाता, अगर
कह देते, तू मेरा भी कुछ है
जमाना बदल गया है शायद
आजकल इश्क में कुछ है
वो ज़ख्म देके सहलाते हैं 'राज'
अभी भी क्या दर्द कुछ है !!!!
प्रेम हवा की तरह है
तपती धूप में भी
सहलाकर जला जाता है
जहां भी जाओ
साथ रहता है
भले भूल जाओ सबकुछ
हवा जानता है
उसके बिना एक पल भी नहीं रहा जाता है
वैसे प्रेम है !!!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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