Taste of Untold Things Poem
अनकही बातों का स्वाद
हृदय में समा गया
भीतर ही भीतर
मन को भा गया
जब भी अकेला हो जाता हूॅ॑
तेरी यादों में खो जाता हूॅ॑
लोग पुछते है मुझे क्या हुआ है
मैं कुछ नहीं कह पाता हूॅ॑
मेरे दिल में जो तड़प है
उसमें तेरी ही झलक है
जिसे भूला नहीं पाता हूॅ॑
तेरे दर्द में भी सुकूॅं पाता हूॅ॑ !!!!
Taste of Untold Things Poem
अनकही बातों का स्वाद
महसूस कीजिए उसके बाद
जड़ों से होती है पोषण पेड़ों का
तुम्हें मिलाना चाहिए मिट्टी में कई खाद !!!!
तुम नहीं रहोगी तब भी
मेरी कविताएं रहेंगी
मेरे साथ
मेरे शब्द
मेरे भाव
जिसपर लगाव है मुझे !!!!
जब प्रेम खत्म हो जाता है
शब्द मौन हो जाते हैं
सुनी जाती है अंतर्मन की बातें
जितनी शब्दों में नहीं होती है !!!!
अनकही बातें
तुम्हारे सामने
मैंने महसूस किया
तुम्हारी आंखें
देखा जब-जब
जिसमें प्यार था
एतबार था
बातें होती रही
जब-जब तुम बैठी
मेरे सामने !!!!
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