जिंदगी क्यों कमी सी लगती है

जिंदगी क्यों कमी सी लगती है
ऑ॑खों में तेरी नमी सी लगती है
प्यास नहीं बुझती है मेरे मन की
तू मिले मुझे फिर भी कमी सी लगती है




Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ