अजीब दास्ताॅं है अपनी भी

ajib-dastan-hai-apni-bhi- प्रेम एक ऐसा दर्द है जो चुभन है, पीड़ा है लेकिन मीठा अहसास है । जिसे न छोड़ते बनता है कभी ।जब तक मिल न जाएं ।  एक पल दूरी सुहाते भी नहीं है । कभी -कभी लगता है कि ये दिल सब कुछ कह देगा लेकिन उसके सामने आने के बाद कुछ भी कह नहीं पाता है । अजीब हालत होते हैं दिल की। 

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अजीब दास्ताॅं है अपनी भी
तू मेरा ख्याल है ख़्वाब भी

तेरी नज़रों ने लूट के ले गई 
मेरा दिल भी और नसीब भी

हरदम बेचैनी रहती है दिल में
तू मेरा सवाल भी जवाब भी

अजीब कश्मकश में हूॅं तेरे बिना
तू लगता है दूर भी करीब भी

तुम आ जाओ अब मेरी जिंदगी में
मिल जाएगी जीने की तरकीब भी

Kavita-hindi-ajib-dastan-hai-

न कह सके न रह सके
अजीब दास्तां है अपनी भी

तुम आए तो खुशी हुई मुझे
लेकिन नजरें चुराएं अपनी भी

तुम्हें देखते रहे पहल होगी पहली
दिल और जान अपनी भी !!! 

---राजकपूर राजपूत''राज''
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