वो सियासत करते रहे

Siyasat ki baat 


वो सियासत करते रहे
आप ताली बजाते रहे

बस्ती जल रही थी
आप समर्थन करते रहे

Sach kabhi 


सच कभी सामने आते नहीं
झूठ का पर्दा डालते रहे

उन्मादी स्वाभाव है तुम्हारी
व्यर्थ के चिल्लाते रहे

न्याय की मांग जरूर है
इसी बात पे बहलाते रहे

---राजकपूर राजपूत''राज'
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