सर पे जो गट्ठा होता है

सर पे जो गट्ठा होता है
अपनो का भार होता है

बोझ लिए दौड़ती है जिंदगी
कैसा उसका संसार होता है

सिर्फ जिंदा है इसी उम्मीद में
अपनो का प्यार होता है

जिनके अरमान मर गए धूप में
अपनो की चाह अपार होता है
---राजकपूर राजपूत''राज''



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