मेरी तलाश तो रोजी-रोटी थी My Search Poem Hindi

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मेरी खुशियाॅ॑ अपनो की खुशियाॅ॑ थी
इसलिए मैंने नौकरी की थी

दूर रहना बहुत कठिन है साहब
सिर्फ अपनो के खातिर मजबूरी थी

पेट नहीं भरता इश्क में साहब
मेरी तलाश तो रोजी-रोटी थी
जिंदगी क्या है राज़ समझ ना पाया
तेरे मेरे बीच में क्यों दूरी थी !!!!


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हम नौकरी में थे
सरकारी 
एक समूह था हम लोगों का
एक ही काम में रत
निरंतरता से करते थे
जो आदेश आ गया
पालन होता था
उस समय हम एक थे
नौकरी एक थी
लेकिन हम अलग थे
व्यक्तिगत रूप से
व्यक्तिगत जीवन को
अलग ही रखा
काम को काम तक
व्यवहार बना कर रखा

तुम्हें पता है
हम शिक्षित वर्ग में गिने जाते हैं
और शिक्षित लोग
किसी के व्यक्तिगत जीवन में
दखल नहीं देता
ये समझदारी
 हमारी
शिक्षित होने पर मिली है
इसलिए अलग कर दिए काम को
और अपने निजी जीवन को
एक दूसरे से !!!!

हैनौकरी में
तनख्वाह के प्रति
उत्तरदाई है
जो आदेश प्रेषित हुआ है
उसे करना ही पड़ेगा
क्योंकि हमारा संबंध
तनख्वाह और उसके पैसे से है 
बारह नहीं जा सकते हैं
सीमित है हमारे क्षेत्र है !!!!

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