कभी झोंको से ना हिले
इसकी जड़ें
जिसकी गहराई
की सीमा नहीं
जिसे कोई
अभी तक समझा नहीं
जो एक बार
बंध जाता है
कभी छुड़ा नहीं पाता है
अपने प्रेम को
उसकी याद को
जिसकी छाप
हमेशा के लिए
पड़ती है
स्मृति की अनंत गहराई में
भले ही पेड़ सूखे रहे
हृदय भूखे रहे
लेकिन अनंत गहराई में
जड़ें जीवित रहती है
जिसे प्रेम रूपी जल की
जरूरत रहती है
सींचते ही हरे हो जाते हैं
पेड़ !!!!!!
1 टिप्पणियाँ
Bahut hi sundar rachana
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