Thaam ke Haath Poem Hindi
सफ़र को अधूरा नहीं छोड़ते
थाम के हाथ साथ नहीं छोड़ते
उम्र भर लगा रहा तेरी तलाश में
मेरी मुफलिसी साथ नहीं छोड़ते
मेरी कस्ती डगमगा जाते हैं कई बार
मगर मेरे बाजुएं पतवार नहीं छोड़ते
कैसे मैं आ जाता यूं ही तेरे पास
तेरी बेवफ़ाई के दर्द साथ नहीं छोड़ते
बहुत कुछ है तेरे शहर के भीड़ में मगर
मेरा अकेलापन कभी साथ नहीं छोड़ते !!!
Thaam ke Haath Poem Hindi
समझाने की उम्मीद नहीं थी
वो समझने के लिए तैयार नहीं थी
कहता मैं कैसे दिल की बात
मैं उसके दिल में हूं ऐसी उम्मीद नहीं थी
अब रोकर भी क्या मिलेगा
मेरा प्यार था कोई भीख नहीं थी !!!
अभी हम सफ़र में है
तुमसे मुलाकात भी करेंगे
सुख-दुख का जीवन है
कभी मिलोगे बात भी करेंगे
तुम न समझो जीवन अधूरा
कभी ठहरों तुम अहसास भी करेंगे !!!
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---राजकपूर राजपूत''राज''
1 टिप्पणियाँ
Bahut hi Sundar
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