प्रेम सभी जगह व्याप्त है । कमी है तो सिर्फ महसूस करने की । पेड़ से लेकर फूलों में, नदियों की बहती धार में , बरसते बादलों की आस में । प्रेम है । जरूरत है तो इसे अपने भीतर आत्मसात करने की ।
कविता हिन्दी 👇👇
कौन है ये मेरे आस-पास
कौन है ये मेरे आस-पास
हृदय करते हैं जिसकी तलाश
पुलकित हो गया हृदय मेरा
रौशनी निकलती है तन से मेरा
खींचा चला जाता हूॅ॑ उसकी ओर
पुलकित हृदय और कदम मेरा
ढूंढ रहा हूं जिसे भीगे नयनों से
झांकता हूं जिसे अंतर्मन से
तड़प उठी कलियां सारी
बहती हवाओं के झोंको से
बरसते बादल की बूंदों से
तृप्त कर जाती कभी मुझे
कभी प्यास तड़पाती है मुझे
जिसके लिए ये तड़प है खास
कौन है ये मेरे आस-पास
---राजकपूर राजपूत
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